Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Dec 2023 · 1 min read

*इश्क़ से इश्क़*

सिर्फ़ सच लिखने की क़सम ली है
मेरे हाथों में जबसे ये कलम ली है
जाने क्यों कहते हैं वो पागल मुझे
मैंने तो बस इश्क़ की पैरवी की है

रात को रात और दिन को कहा दिन
मैंने कहां किसी की बुराई की है
फिर भी दर्द हो रहा है न जाने क्यों उन्हें
जिन्हें लगता है की उनकी ही धुनाई की है

इश्क़ से इश्क़ है हमको तो
बता दो उन्हें कि मैं कोई आवारा नहीं
इश्क़ करते थे जो खुद छुपते छुपाते
आज उन्हें इश्क़ की बात सुनना भी गवारा नहीं

जो होते कुछ और हैं लेकिन दिखाते हैं कुछ और
ये समस्या उनकी है, मेरी नहीं
कहता हूं जो मैं इश्क़ के बारे में
ये दास्तां इश्क़ की है, कोई समझाओ उसे, तेरी नहीं

सुना था इश्क़ का दुश्मन है ज़माना
जानता नहीं था उसको तो इश्क़ की बात से भी परहेज़ है
दिखावा करने के लिए वो भी करते हैं इश्क़ का विरोध
जिनका जीवन ही इश्क़ की दस्तानों से लबरेज़ है

महबूबा के इश्क़ में ज़माने से भिड़ जाते हैं जो
है ये ताकत इश्क़ की जीत जाते हैं वो
हमने तो इश्क़ किया है इश्क़ से ही
जो सोचते हैं हम हार जाएंगे, पागल है वो।

7 Likes · 2 Comments · 1541 Views
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all

You may also like these posts

मैं
मैं
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
" चले आना "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
हम और आप ऐसे यहां मिल रहें हैं,
हम और आप ऐसे यहां मिल रहें हैं,
Jyoti Roshni
कुछ लोगों के बाप,
कुछ लोगों के बाप,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नही तनिक भी झूठ
नही तनिक भी झूठ
RAMESH SHARMA
सनातन चिंतन
सनातन चिंतन
Arun Prasad
इश्क़ कमा कर लाए थे...💐
इश्क़ कमा कर लाए थे...💐
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
कहती नही मै ज्यादा ,
कहती नही मै ज्यादा ,
Neelu Tanwer
गुजरा वक्त।
गुजरा वक्त।
Taj Mohammad
..
..
*प्रणय*
डॉ ऋषि कुमार चतुर्वेदी (श्रद्धाँजलि लेख)
डॉ ऋषि कुमार चतुर्वेदी (श्रद्धाँजलि लेख)
Ravi Prakash
दुनिया में लोग ज्यादा सम्पर्क (contect) बनाते हैं,
दुनिया में लोग ज्यादा सम्पर्क (contect) बनाते हैं,
Lokesh Sharma
जनता नहीं बेचारी है --
जनता नहीं बेचारी है --
Seema Garg
#सुर आज रे मन कुछ ऐसे सजा
#सुर आज रे मन कुछ ऐसे सजा
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
आता एक बार फिर से तो
आता एक बार फिर से तो
Dr Manju Saini
** मैं शब्द-शिल्पी हूं **
** मैं शब्द-शिल्पी हूं **
भूरचन्द जयपाल
- दुख की पराकाष्ठा -
- दुख की पराकाष्ठा -
bharat gehlot
वह और तुम
वह और तुम
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
कहां गई वो दीवाली और श्रीलक्ष्मी पूजन
कहां गई वो दीवाली और श्रीलक्ष्मी पूजन
Suryakant Dwivedi
चलो माना तुम्हें कष्ट है, वो मस्त है ।
चलो माना तुम्हें कष्ट है, वो मस्त है ।
Dr. Man Mohan Krishna
तन माटी का
तन माटी का
Neeraj Agarwal
#गम ही मेरा साया
#गम ही मेरा साया
Radheshyam Khatik
*समृद्ध भारत बनायें*
*समृद्ध भारत बनायें*
Poonam Matia
आकर्षण मृत्यु का
आकर्षण मृत्यु का
Shaily
सच्ची दोस्ती -
सच्ची दोस्ती -
Raju Gajbhiye
2455.पूर्णिका
2455.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
चरित्र
चरित्र
Rambali Mishra
दिल की बात
दिल की बात
Bodhisatva kastooriya
तुम क्या जानो किस दौर से गुज़र रहा हूँ - डी. के. निवातिया
तुम क्या जानो किस दौर से गुज़र रहा हूँ - डी. के. निवातिया
डी. के. निवातिया
! नारीशक्ति वंदन !
! नारीशक्ति वंदन !
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
Loading...