इश्क़ में बदनाम
हमने अपना जीवन तमाम दे दिया
फिर भी बदनामी का, नाम दे दिया
हर वक्त तडपने का, काम दे दिया
यूं बेचैन रहना सुबह शाम दे दिया
उल्टा सब हमको इल्ज़ाम दे दिया
ये बड़ा तोहफा, सरेआम से दिया
अब से श्याही को आराम दे दिया
आजाद क़लम को विराम दे दिया
– कवि आजाद मंडौरी