इश्क़ का कलमा
इश्क़ का कलमा तू मेरी आँखों से पढ़ ले, फिजूल इन किताबों में क्या रक्खा है। आज अपने दिल की हकीकत से, रूबरू करा दे मुझे, झूठे इस लिबास में क्या रक्खा है।मोहब्बत ही मोहब्बत है, तेरे लिए मेरे दिल के आशियाने में। तू एक बार मुझसे इश्क़ करके तो देख, बेकार मेरी दर्दभरी इस आवाज़ में क्या रक्खा है।