इशारा
आंखें ये उनकी क्या कह रही हैं
यूं पलकों को उठा और झपका रहीं हैं
कभी तिरछी होकर हमें निहारती हैं
कभी मुस्कुराकर जलवा दिखाती हैं
हम समझ नहीं पाते कभी…
कभी सोचते हैं कि…
अनंत ये तुम्हें बुलाने का
महज़ इशारा तो नही |
आंखें ये उनकी क्या कह रही हैं
यूं पलकों को उठा और झपका रहीं हैं
कभी तिरछी होकर हमें निहारती हैं
कभी मुस्कुराकर जलवा दिखाती हैं
हम समझ नहीं पाते कभी…
कभी सोचते हैं कि…
अनंत ये तुम्हें बुलाने का
महज़ इशारा तो नही |