इन दिनों
लाल लकीरों के रंग में
रंगा हुआ झण्डा
ऊपर से
खाकी वर्दी वालों का
बड़ा भयावह डण्डा
मानो एक सील हो
और दूसरा लोढ़ा
भारी मोटा तगड़ा चौड़ा।
बस इन्हीं के बीच
इन दिनों
निरन्तर पीस रहे
चापड़ा चटनी की तरह
बस्तर के वनवासी,
कभी भटक रहे
बेबस शरणार्थियों की तरह
भोले-भाले आदिवासी।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल
एक साधारण व्यक्ति।