“इन्तजार”
“इन्तजार”
हम खुद को ही धोखा देते हैं
जब वक्त को इन्तजार में खोते हैं।
मन भी कई-कई स्वप्न संजोता है
तभी तो कोई इन्तजार होता है।
“इन्तजार”
हम खुद को ही धोखा देते हैं
जब वक्त को इन्तजार में खोते हैं।
मन भी कई-कई स्वप्न संजोता है
तभी तो कोई इन्तजार होता है।