इतिहास का वो भयावह दिन
23 जनवरी सन् 1556 विश्व इतिहास का वो भयावह दिन था, जब चीन के शांक्सी प्रान्त में 8 रिक्टर तीव्रता वाला भूकम्प आया था। इसमें 8,50,000 लोगों की जानें गई थी। उस समय विश्व की जनसंख्या आज की तुलना में केवल 5% थी। यह अब तक एक दिन में मारे गए लोगों की सर्वाधिक जनसंख्या है।
उस समय चीन में मिंग राजवंश के जियाजिंग नामक सम्राट का शासन था। अस्तु इसे जियाजिंग भूकम्प भी कहा जाता है। उस समय घर और दीवारें पूरी तरह जमींदोज हो गई थीं। समतल मैदान पहाड़ियों में तब्दील हो गए थे। पीली और ईव जैसी नदियाँ जलमग्न हो गई थीं। जीवन की क्षति के अलावा भूकम्प के बाद भयानक अकाल, बीमारी और अनेक सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न हो गई थीं।
लेकिन रिक्टर पैमाने के हिसाब से अब तक का सर्वाधिक विनाशकारी भूकम्प 22 मई 1960 को आये चिली के भूकम्प को माना जाता है। इसकी तीव्रता 9.5 रिक्टर स्केल थी। इससे आई महा सुनामी से चिली हवाई द्वीप, जापान, फिलीपींस, दक्षिणी न्यूजीलैंड, दक्षिण- पूर्व ऑस्ट्रेलिया के क्षेत्र विशाल क्षेत्र प्रभावित हुए थे। इस भूकम्प से भी काफी विनाश हुआ था। मंजर अति भयावह था।
भूकम्प की जानकारी राष्ट्रीय पर्यावरण सूचना केन्द्र रखता है, जो अमेरिकी संस्था है। प्रकृति देवी से विनय है कि कभी भी इस तरह अपना भयावह रौद्र रूप न दिखाएँ। हमें पता है कि पृथ्वी हमारी नहीं है, बल्कि हम पृथ्वी के हैं। ‘ॐ कल्याणमस्तु’
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति