धर्म किसी को नही तोड़ता
धर्म –
जोड़ का नाम दूसरा,
धर्म –
किसी को नही तोड़ता…. I
कह गए
ज्ञानी
सदियों पहले,
मानवता का
मान करो।
गुण का
करके
गुणा सदा,
अवगुण का
अवसान करो॥
कर्म –
नाम के साथ बचे बस,
नर-
जब दुनिया कभी छोड़ता..।
मिट्टी से
पानी का जैसे ,
रहता है
सम्बन्ध सदा I
धर्म कर्म
का रहा है वैसे,
जीवन से
अनुबन्ध सदा ॥
सिर –
अपना अपने से कोई,
स्वयं –
मारकर नही फोड़ता…।