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10 May 2024 · 1 min read

इक बार वही फिर बारिश हो

इक बार वही फिर बारिश हो ,
इस बार मुकम्मल ख्वाहिश हो ,
हर बार की तरह खामोश रहो ना ,
गुफ्तगू की भी गुंजाइश हो I

इक बार चाहे सरगोशी हो ,
इस बार नदारद खामोशी हो ,
हिज्र की रात कटी बारहा ,
महबूब मगर पुरजोश ही हो I

इक बार वही फिर रातें हों,
ढेरों मीठी प्यारी बातें हो ,
इस राज को फिर दफन कर दे ,
चाहे ख्वाब में बस मुलाकातें हो !

Language: Hindi
104 Views
Books from Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
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