इक बार वही फिर बारिश हो
इक बार वही फिर बारिश हो ,
इस बार मुकम्मल ख्वाहिश हो ,
हर बार की तरह खामोश रहो ना ,
गुफ्तगू की भी गुंजाइश हो I
इक बार चाहे सरगोशी हो ,
इस बार नदारद खामोशी हो ,
हिज्र की रात कटी बारहा ,
महबूब मगर पुरजोश ही हो I
इक बार वही फिर रातें हों,
ढेरों मीठी प्यारी बातें हो ,
इस राज को फिर दफन कर दे ,
चाहे ख्वाब में बस मुलाकातें हो !