इक ज़मीं हो
1)दिल के वीराने में दीपक आस का हम सब जलाएं
दूर कर दें हर उदासी जुगनुओं से घर सजाएं
2)रूठ बैठे हम से जो पल आओ हम मिलकर मनाएं
इन अंधेरों में कोई रौशन शमा फिर से जलाएं
3)अजनबी एहसास को हम दूर कर दें दिल से अपने
हमवतन हैं हम सभी विश्वास ये ख़ुद को दिलाएं
4)नफ़रतें घर कर गई है आज क्यूं डर लग रहा है
प्रेम की बूंदों से आओ आग नफ़रत की बुझाएं
5)दूरियों और फासलों के जाल में हम फंच चुके हैं
इत्तिहादी गीत गाकर फासलों को हम मिटाएं
6)फिर बनाएं एक माला फूल सब रंगो की मिलकर
और अपनी मातृभूमि को गले मिलकर लगाएं
7)इक ज़मीं हो मंतशा सबका ही इक सुंदर फलक़ हो
हम सितारे प्यार के लाकर के ये ऑंचल सजाएं
🌹मोनिका मंतशा🌹