इक चमन छोड़ आये वतन के लिए
सावन के झूले
रिमझिम फुहारें
जुल्फों की बदली
झिलमिल सितारे
फूलों की रगंत
महके से नजारे
भीगे से जज्बात
मचलती बहारें
आँखों के सागर
होंठों के प्याले
पायल की रुनझुन
कंगन के इशारे
इक चमन छोड़ आये वतन के लिए
इक कली तोड़ आये वतन के लिए
लाखों जन्नत हैं कुर्बां वतन के लिए
जाँ जिगर सब है कुर्बां वतन के लिए
स्वरचित मौलिक रचना
M.Tiwari”Ayan”