#ग़ज़ल-28
हम व्याकुल हैं तेरे बिन न भुलाया कीजिए
इक गलती पर खुद से ही न पराया कीजिए/1
अपने तो अपने ही एक सदा रहते यहाँ
रिश्ते-नाते दिल से यार निभाया कीजिए/2
मिलके मोती-से हम हार बने अच्छे लगें
टूटें झुककर खुद को हार उठाया कीजिए/3
गलती के पुतलें हैं एक हमीं रब तो नहीं
गुमसुम क्या खुलकर हक जान बताया कीजिए/4
रूठा कब है हमसे चाँद नहीं रूठी ज़मीं
तमगा दिल पर इनका रोज लगाया कीजिए/5
दोस्ती चाहत का है नाम भुलाना ना कभी
मिलके हँसना हरदिन और हँसाया कीजिए/6
उसकी हो या अपनी भूल सिखाती है सदा
सजदा करके अपना ज्ञान बढ़ाया कीजिए/7
छोटा-सा है जीवन मूल यहाँ समझो इसे
दिल में नफ़रत की ना आग जलाया कीजिए/8
मिलते हैं ग़म सबको याद रखो इस बात को
ताने दे दिल को ना और दुखाया कीजिए/9
“प्रीतम”तेरी बातें मौज भरी लगती हमें
बसकर इस रुह में हर रोज सुनाया कीजिए/10
-आर.एस.’प्रीतम’
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