“इंसान और सपना”
“इंसान और सपना”
चाहे इंसान कोई भी हों
वो हाड़-मांस का
एक पुतला ही तो है,
और सपने?
सपने तो बस सपने हैं
उसे तो देखने का
पूरा-पूरा हक है सबको।
“इंसान और सपना”
चाहे इंसान कोई भी हों
वो हाड़-मांस का
एक पुतला ही तो है,
और सपने?
सपने तो बस सपने हैं
उसे तो देखने का
पूरा-पूरा हक है सबको।