Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Mar 2024 · 1 min read

इंसान, इंसान नहीं रह जाता

इंसान, इंसान नहीं रह जाता
जब वो
इतना अभिमानी हो जाए
कि रो ना सके,
इतना गम्भीर हो जाए
कि हँस ना सके,
इतना स्वार्थी हो जाए
कि औरों का अनुसरण ना कर सके,
इतना निष्ठुर हो जाए
कि अच्छाई का वरण ना कर सके।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 114 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

భారత దేశం మన పుణ్య ప్రదేశం..
భారత దేశం మన పుణ్య ప్రదేశం..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
नित जीवन के संघर्षों से जब टूट चुका हो अन्तर्मन, तब सुख के म
नित जीवन के संघर्षों से जब टूट चुका हो अन्तर्मन, तब सुख के म
पूर्वार्थ
माहिया
माहिया
Rambali Mishra
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
जगदीश शर्मा सहज
3866.💐 *पूर्णिका* 💐
3866.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"हमारे दर्द का मरहम अगर बनकर खड़ा होगा
आर.एस. 'प्रीतम'
तुम जब भी जमीन पर बैठो तो लोग उसे तुम्हारी औक़ात नहीं बल्कि
तुम जब भी जमीन पर बैठो तो लोग उसे तुम्हारी औक़ात नहीं बल्कि
Lokesh Sharma
शिकायत करें भी तो किससे करें हम ?
शिकायत करें भी तो किससे करें हम ?
Manju sagar
In the bamboo forest
In the bamboo forest
Otteri Selvakumar
मुझे अब भी घर लौटने की चाहत नहीं है साकी,
मुझे अब भी घर लौटने की चाहत नहीं है साकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हिंदी सबसे प्यारा है
हिंदी सबसे प्यारा है
शेख रहमत अली "बस्तवी"
माँ - बेटी
माँ - बेटी
Savitri Dhayal
कविता माँ काली का गद्यानुवाद
कविता माँ काली का गद्यानुवाद
गुमनाम 'बाबा'
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सब कुछ यूं ही कहां हासिल है,
सब कुछ यूं ही कहां हासिल है,
manjula chauhan
भारत को आखिर फूटबौळ क्यों बना दिया ? ना पड़ोसियों के गोल पोस
भारत को आखिर फूटबौळ क्यों बना दिया ? ना पड़ोसियों के गोल पोस
DrLakshman Jha Parimal
नशीली चाँदनी
नशीली चाँदनी
शशि कांत श्रीवास्तव
प्रकृति की गोद
प्रकृति की गोद
उमा झा
खाने पुराने
खाने पुराने
Sanjay ' शून्य'
*मेला (बाल कविता)*
*मेला (बाल कविता)*
Ravi Prakash
सजल
सजल
seema sharma
कितनी शिद्दत से देखा होगा मेरी नज़रों ने
कितनी शिद्दत से देखा होगा मेरी नज़रों ने
शिव प्रताप लोधी
किसी सहरा में तो इक फूल है खिलना बहुत मुश्किल
किसी सहरा में तो इक फूल है खिलना बहुत मुश्किल
अंसार एटवी
किसी मोड़ पर अब रुकेंगे नहीं हम।
किसी मोड़ पर अब रुकेंगे नहीं हम।
surenderpal vaidya
👍कमाल👍
👍कमाल👍
*प्रणय*
" विचार "
Dr. Kishan tandon kranti
आगोश में रह कर भी पराया रहा
आगोश में रह कर भी पराया रहा
हरवंश हृदय
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जिस तरीके से तुम हो बुलंदी पे अपने
जिस तरीके से तुम हो बुलंदी पे अपने
सिद्धार्थ गोरखपुरी
रूठना तो हमे भी आता हैं..लेकिन मनाने कहा कोई आता हैं..
रूठना तो हमे भी आता हैं..लेकिन मनाने कहा कोई आता हैं..
Swara Kumari arya
Loading...