तोंदू भाई, तोंदू भाई..!!
तोंदू भाई, तोंदू भाई,
काहे इतनी तोंद बढ़ायी..?
मूँछें ठीक-ठाक सी दिखतीं,
दाढ़ी काहे न बनवायी..?
मूँछों संग तुम अच्छे लगते,
सीधे-सादे बच्चे लगते,
क्यों चेहरे की वाट लगायी..?
तोंदू भाई, तोंदू भाई..!
चीज कोई जब खाते हो,
दाढ़ी राज बताती है,
मूँछों में हँस रही मलाई।
तोंदू भाई, तोंदू भाई..!
क्लीन-शेव जब होते हो,
डेशिंग से तब लगते हो,
माँ भी देख के है मुस्कायी।
तोंदू भाई, तोंदू भाई..!
रचनाकार – कंचन खन्ना, मुरादाबाद,
(उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
दिनांक – १६/०६/२०१७.