इंतज़ार
ऐसी भी क्या बेरूखी यारा
राह में तेरे, दिल को बिछाए बैठे हैं।
तन्हा हूँ मगर आँखों में यारा
महफिल तेरी ही सजाऐ बैठे हैं।
मद्दतो बाद मिले हो साथी
इन्तजार में तेरी, बाँहे फैलाये बैठे हैं।
खुद से दूर जाने न देगे अब
पलकों में तुझे इस कदर छुपाये बैठे हैं।
तन्हाइयों में तेरा ही अहसास है यारा
जज्बात भरे तूफान कुछ यूँ दबाये बैठे हैं।
….…………….पूनम कुमारी…..