इंतज़ार तुम्हारा!
वैसे तो हर कोई आता है यहाँ जाने के लिए
मगर हर कोई जाता नहीं ऐसे रुलाने के लिए
जाते जाते तुम ढेरों यादों का ख़ज़ाना दे गये
उनमें डूबे रहने का एक अच्छा बहाना दे गये
लगा बड़े प्यार से संजोया कोई तराना दे गये
यादों को झँझोड़ कर रोने का बहाना दे गये
बेरहम वक्त कहाँ रुका कभी किसी के लिए
यादें समेट रक्खीं हैं ख़ुद को बहलाने के लिए
आँसू सूखे नहीं अभी लगता नहीं सूखेंगे कभी
डर है मगर कोई याद उनमें बह न जाए कभी
दिल को यादों से निकलना नहीं गवारा कभी
कौन जाने कोई याद नया मोड़ ले आये कभी
ख़िज़ाँ में कोई फूल शायद खिला जाए कभी
इस उम्मीद पे ज़िंदा हैं गर्दिश भी छटेगी कभी
डूबता सूरज भी तो कभी चाँदनी रात लाता है
कहाँ अमावस सदा रही है चाँद लौट आता है
बस इसी इंतज़ार में बैठे वक्त गुजर जाता है
कैसे मान लें गया कहाँ वापस कभी आता है!