आ लिख दूँ
आ लिख दूँ
कुछ तेरे बारे में
लफ्जों से तेरा श्रंगार करूँ
आँखों को तेरी
झील कहूँ या मधुशाला कह दूँ
होंठ तेरे छलकता जाम
या पंखुरी गुलाब की
जुल्फों को बादल कह दूँ
फ़िर गालों को तेरे क्या कहूँ
तुम जिवित श्रंगार
तुम पर क्या लिखूँ
हिमांशु Kulshrestha