आ बैठ मेरे मितवा तुझसे…
आ बैठ मेरे मितवा तुझसे,
कुछ बात करूँ मीठी मीठी,
आ पास जरा, इतना न लजा,
नजरें करके नीची नीची,
आ बैठ मेरे मितवा तुझसे
कुछ बात करूँ मीठी मीठी।
नयनों में बसे हो तुम ही तुम,
उर में भी तुम्हारी ही छवि है,
धड़कन की हर आवाज में तुम,
रहती हो मगर रूठी रूठी,
आ बैठ मेरे मितवा तुझसे,
कुछ बात करूँ मीठी मीठी।
आसक्ति हुई, जबसे तुमसे,
दिल पल पल प्रेम की पींग भरे,
काबू न रहा, खुद पर खुद का,
दुनिया लगती फ़ीकी फ़ीकी,
आ बैठ मेरे मितवा तुझसे,
कुछ बात करूँ मीठी मीठी।
कुछ भी न कहो अब तुम हमसे,
हमको भी न तुमसे है कुछ कहना,
बस डोर प्रीति की पकड़ रखो,
जो है अब तक छूटी छूटी,
आ बैठ मेरे मितवा तुझसे,
कुछ बात करूँ मीठी मीठी।
– सुनील सुमन