आ जाओ मनमीत
पवन बसंती दे रही, जीवन का संगीत
मौसम मस्त मलंग है, आ जाओ मनमीत
आ जाओ मनमीत, खेलने हमसे होली
अंग अंग में रंग भरुंगी ओ मेरे हमजोली
याद आ रही पहली होली, जब पहली बार छुआ था
कुछ मुझको कुछ- तुमको, जब पहली बार हुआ था
आ जाओ इस बार फिर से खेलेंगे
बचपन की वो याद पुरानी, हम ताजा कर लेंगे
भर लूंगी बाहों में, तुमको तुम झूठ नहीं पाओगे
नहीं चलेगा कोई बहाना, तुम रूठ नहीं पाओगे
आ जाओ मस्ती संग संग करेंगे, अंग अंग में रंग भरेंगे
होली की हुड़दंग करेंगे, ठंडाई का जश्न करेंगे
तुम जैसा चाहोगे वैंसा संग संग करेंगे
आ जाओ होली संग संग खेलेंगे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी