आज़ाद गज़ल
दिल मेरा बड़ा सहम सा जाता है
जब कोई मुझसे प्यार जताता है ।
इस कदर है उसे नफरत फूलों से
काँटे वो अब खुद ही उगाता है ।
जब नहीं इल्म है अंजामे इश्क़
क्यों तू अंधेरे में तीर चलाता है ।
महफूज़ रहती है औकात उसकी
खुदा जिस पे भी रहमत लुटाता है ।
हौसले तेरे तो हैं नहीं टुटे अभी
अजय इम्तहान से क्यों घबराता है
-अजय प्रसाद