आज़ाद गज़ल
हर शायर आजकल खुद को बड़ा गमज़दा बता रहा है
ये और बात है हर ऐशो-आराम से पिज़्ज़ा खा रहा है ।
एक से एक नमूने के तौर पे शेर पेश करता है दोस्तों
जैसे पूरी दुनिया का रन्ज़ो गम बस उसे ही सता रहा है ।
कोई भी मौका छोड़ता नहीं है खुद को साबित करने में
हर एक मुद्दे पर वो अपनी काबिलियत आजमा रहा है ।
कवियों की कविताओं से तो खुद परेशान हैं समस्याएँ
सोंचतें जरुर होंगे विचारे बेवजह क्यूँ घसीटा जा रहा है ।
हल तो किसी मसले का कर न पाए आजतक ये लोग
दिखावे के लिए साहित्य के रुप में छाती पीटा जा रहा है ।
तु भी अजय कौन सा पीछे है किसी कम्बखत कवि से
अपनी शायरी में तू भी तो उन्हीं चीज़ों को दोहरा रहा है ।
-अजय प्रसाद