आज़ाद गज़ल
हुस्न उनका है मल्टीप्लेक्स मॉल की तरह
ईश्क़ मेंरा है सरकारी अस्पताल की तरह ।
भला कैसे हो हम पर नज़रे इनायत उनकी
आशिक़ी जो है हमारी खस्ताहाल की तरह।
दिल,गुर्दे,फेफड़े फड़फड़ातें हैं देख कर उन्हें
ज़ज्बात हो जातें हैं बेकाबू बवाल की तरह।
आँखें तो हो जातीं हैं मालामाल दिदार करके
और बाहें रह जाती हैं खाली,कंगाल की तरह।
औकात भी देख लिया करो अजय तुम अपनी
क्यों आ जाते हो ज़िंदगी में जंजाल की तरह।
-अजय प्रसाद