आज़ाद गज़ल
अरे भई,खिसियानी बिल्ली खंभा नोंचे
धूल तो है चेह्रे पे,मगर वो आईना पोंछे ।
लग गई है मिर्ची न जाने किस बात पर
बिफर पडें वो आज ,आग बबुला होके ।
छोटा कद,ऊँचा पद,पर है नीची नियत
इसे कहते हैं नाम बड़े और दर्शन छोटे ।
अपनी बारी आई तो लगे ज्ञान बांटने
खुदर्गज़ क्यों किसी का भला सोंचे ।
बड़े मुहँ फट हो अजय, ज़रा संभलो
शायर हो मियाँ तुम अभी बेहद ओछे ।
-अजय प्रसाद