आज़ाद गज़ल
फूल और खार के बीच
जीत और हार के बीच ।
रिश्ता होता गहरा यारों
घृणा और प्यार के बीच ।
आजकल है मेल कहाँ
घर औ परिवार के बीच।
कौन महफ़ूज़ रहता है
गर्दनो-तलवार के बीच ।
अच्छा है खुद छोड़ गए
नाव मझधार के बीच ।
-अजय प्रसाद
फूल और खार के बीच
जीत और हार के बीच ।
रिश्ता होता गहरा यारों
घृणा और प्यार के बीच ।
आजकल है मेल कहाँ
घर औ परिवार के बीच।
कौन महफ़ूज़ रहता है
गर्दनो-तलवार के बीच ।
अच्छा है खुद छोड़ गए
नाव मझधार के बीच ।
-अजय प्रसाद