Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

*दिल का आदाब ले जाना*

‌ग़ज़ल
——–
दिल का आदाब ले जाना।
खत का जवाब ले जाना।

वो चाँद तन्हा तन्हा है,
साथ अपने गुलाब ले जाना।

ये रात सिमट जाए पहले,
दिन का हिसाब ले जाना।

वहां सब लोग एक जैसे हैं,
तुम अपना नकाब ले जाना।

जिंदगी की पाठशाला है ये,
सबक की किताब ले जाना।

जो पहले कभी बोया था,
काट उसको जनाब ले जाना।

सुधीर कुमार
सरहिंद फतेहगढ़ साहिब पंजाब।

Language: Hindi
1 Like · 100 Views

You may also like these posts

"बेखबर हम और नादान तुम " अध्याय -3 "मन और मस्तिष्क का अंतरद्वंद"
कवि अनिल कुमार पँचोली
गीत-14-15
गीत-14-15
Dr. Sunita Singh
*बारिश सी बूंदों सी है प्रेम कहानी*
*बारिश सी बूंदों सी है प्रेम कहानी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हुईं मानवीय संवेदनाएं विनष्ट
हुईं मानवीय संवेदनाएं विनष्ट
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कहते हो इश्क़ में कुछ पाया नहीं।
कहते हो इश्क़ में कुछ पाया नहीं।
Manoj Mahato
"हां, गिरके नई शुरुआत चाहता हूँ ll
पूर्वार्थ
औरों का अपमान
औरों का अपमान
RAMESH SHARMA
पूरा दिन जद्दोजहद में गुजार देता हूं मैं
पूरा दिन जद्दोजहद में गुजार देता हूं मैं
शिव प्रताप लोधी
दुनिया को पता है कि हम कुंवारे हैं,
दुनिया को पता है कि हम कुंवारे हैं,
Aditya Prakash
2952.*पूर्णिका*
2952.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
Anil Mishra Prahari
विवश मन
विवश मन
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
*** चोर ***
*** चोर ***
Chunnu Lal Gupta
मेरी जिन्दगी
मेरी जिन्दगी
ललकार भारद्वाज
मैं रंग बन के बहारों में बिखर जाऊंगी
मैं रंग बन के बहारों में बिखर जाऊंगी
Shweta Soni
प्रेम हो जाए जिससे है भाता वही।
प्रेम हो जाए जिससे है भाता वही।
सत्य कुमार प्रेमी
कुछ पल साथ में आओ हम तुम बिता लें
कुछ पल साथ में आओ हम तुम बिता लें
Pramila sultan
ग़ज़ल - बड़े लोगों की आदत है!
ग़ज़ल - बड़े लोगों की आदत है!
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
बुद्धं शरणं गच्छामि
बुद्धं शरणं गच्छामि
Dr.Priya Soni Khare
तुम बिन
तुम बिन
Vandna Thakur
*अदरक (बाल कविता)*
*अदरक (बाल कविता)*
Ravi Prakash
चेहरे की तलाश
चेहरे की तलाश
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
परिवार का एक मेंबर कांग्रेस में रहता है
परिवार का एक मेंबर कांग्रेस में रहता है
शेखर सिंह
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर जीवन कलरव है।
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर जीवन कलरव है।
Neelam Sharma
आजकल भरी महफ़िल में सूना सूना लगता है,
आजकल भरी महफ़िल में सूना सूना लगता है,
डी. के. निवातिया
पावस की ऐसी रैन सखी
पावस की ऐसी रैन सखी
लक्ष्मी सिंह
देखना ख़्वाब
देखना ख़्वाब
Dr fauzia Naseem shad
" *लम्हों में सिमटी जिंदगी* ""
सुनीलानंद महंत
नन्हे-मुन्ने हाथों में, कागज की नाव ही बचपन था ।
नन्हे-मुन्ने हाथों में, कागज की नाव ही बचपन था ।
Rituraj shivem verma
"सफलता की चाह"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...