आहिस्ता-आहिस्ता….
आहिस्ता-आहिस्ता….
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आहिस्ता,आहिस्ता ही सही ,
गतिशील रहें नव चेतन से !
बनालें जीवन की राह अपनी ,
प्रगतिशील रहें अन्वेषण से !!
जीवन में सदा आगे बढ़ते रहने में ,
खुद का ही नज़रिया काम आता !
सूत्र भले हम पढ़ते हैं, किताबों में ,
पर सरजमीं पे उतरना ही काम आता !!
सूक्ष्म परख से ही समाज उन्नत होगा ,
इक समझ से ही समस्या का हल होगा ,
नेक सोच से सभी में आत्म-बल होगा ,
कड़ी मेहनत से ही सपनों का फल होगा ,
ईमान सच्चाई से ही भावना प्रबल होगा !!
इन सारी बातों का सभी जो ध्यान रखें ,
संग में त्याग, समर्पण व ईमान रखें ,
नियमित रूप से कड़ी श्रमदान रखें ,
मैं तो कहता हूॅं ऐसा सभी श्रीमान् रखें !!
ऐसा करके खत्म होंगी जीवन की दुष्वारियाॅं ,
जागृत भी होंगी देश दुनिया की समझदारियाॅं ,
कर लें जो हम सभी ऐसी ही सारी तैयारियाॅं ,
खिल उठेंगी जीवन के उपवन की सभी क्यारियाॅं !!
खिल उठेंगी जीवन के उपवन की सभी क्यारियाॅं !!
_ स्वरचित एवं मौलिक ।
© अजित कुमार कर्ण ।
__ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : १२/०६/२०२१.
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