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2 Apr 2024 · 1 min read

आस

ख़्वाहिशों के महल बनते रहते हैं ,
हालातो के झोंके इन्हें बिखराते रहते हैं ,

हसरतों की पतंगें ऊँची उड़़ाने लेती रहतीं हैं ,
हक़ीक़त के मांझे की धार डोर काटती रहती है ,

फिर भी न जाने क्यूँ ये जुनून कभी हार नही
मानता है ,
हर बार टूटने बिखरने पर भी ऊंची उड़ाने लेता
रहता है,

शायद कुछ कर गुजरने का जज़्बा ,
अब तक बाकी है ,
दिल में आस की वो सुलगती चिंगारी ,
अभी भी बाकी है।

4 Likes · 2 Comments · 121 Views
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