*आस्था*
अगर है तुम्हारे अंदर आस्था,
तो नहीं रोक सकता तुम्हारा कोई रास्ता।
बदल सकते हो चाहो तो जीवन को,
अगर रखते हो इसके प्रति वास्ता।।१।।
नाम है आस्था का दूसरा विश्वास।
नहीं छोड़नी चाहिए तुम्हें अपनी आस।
खोल सकते हो प्रत्येक दरवाजा बन्द।
अगर इसके प्रति आस्था है तुम्हारी बुलन्द।।२।।
आस्था से हो सकता है तुम्हारा नाम।
आस्था से होते हैं बड़े-बड़े काम।
आस्था से हो सकता है तुम्हारा उद्धार।
खुल सकता है आस्था से मुक्ति का द्वार।।३।।
बदल सकते हो जिंदगी का कोई भी फैसला।
अगर है तुम्हारे अन्दर आस्था का हौसला।
अगर करना है तुम्हें कोई काम तो न छोड़ो आशा।
नहीं कभी भी आएगी तुम्हारे जीवन में निराशा।।४।।
मन में रखो विश्वास और कर्तव्य निभाओ।
कार्य को करके आस्था के बल पर दिखलाओ।
कर नहीं सकते तुम इसके बिना काम।
अगर तुम्हारे अन्दर ना है, आस्था का नाम।।५।।
अगर जिंदगी को चाहते हो करना तुम आसान।
फिर क्यों नहीं करते, प्रत्येक कार्य का सम्मान?
करो कार्य का सम्मान मन में धीरज रख कर।
नहीं कर सकते कार्य तुम आस्था को तजकर।।६।।
अगर है कुछ करने का जुनून तुम्हारे अन्दर।
रोक नहीं सकता तुम्हें कोई ताल या समन्दर।
कार्य करो मन से और ना मानो हार।
अगर आस्था है मन में तो निश्चित होगे पार।।७।।
सुनाता है दुष्यन्त कुमार तुमको यह दास्तां।
अगर है मन में आस्था तो बंद द्वार में भी है रास्ता।।