Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2022 · 4 min read

आस्तीक भाग -छः

आस्तीक – भाग -6

मझले बाबा अक्सर बाहर रहते आते भी तो एक दो माह के लिये फिर चले जाते अपने विद्वत समाज के बिभन्न कार्यक्रमो में सम्मिलित होने के लिए।

छोटका बाबा राजकीय बैद्य थे बहुत दिनों तक नौकरी करने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दिया कुछ दिनों तक रीवा स्टेट में रहने के बाद एव भ्रमण के उपरांत गांव ही रहते जिनके देख रेख में अशोक कि प्राथमिक शिक्षा शुरू हुई थी।

मझले बाबा आये हुए थे और पास के गांव र्रोपन छपरा के रहने वाले और देवरिया में वकील थे शिवधारी सिंह के घर कोई वैवाहिक कार्यक्रम था मझले बाबा पण्डित हंस नाथ मणि त्रिपाठी ने कहा अशोक मेरे साथ जाएगा देवरिया विवाह में ।

हम मझले बाबा आचार्य पण्डित हंस नाथ मणि के साथ बस से देवरिया पहुंचे और शिवधारी सिंह के आवास पहुँच गए शाम हो चुकी थी चूंकि पण्डित जी के परिवार के लोग कही किसी के घर खाना नही खाते थे अतः शिवधारी सिंह जी जो तत्कालीन समय एक अच्छे वकील हुआ करते थे ने भोजन जलपान कि व्यवस्था प्रदान कर दी अब मझले बाबा ने गुड़ का शर्बत बनाया और हम दोनों ने शर्बत पिया कुछ राहत भयंकर गर्मी से मिली कुंछ ही देर बाद बाबा स्वयं भोजन बनांने के कार्य मे जुट गए ईट का चूल्हा बना कर लकड़ी पर खाना बनाना शुरू कर दिया कितना कठिन कार्य था जो घर कि औरतें प्रतिदिन करती थी और उनके इस कठिन परिश्रम का कोई महत्व नही था।

बाबा ने तरकारी बनाई एव पुनः पूड़ी खाना बनाते समय आंख में धुएं से जितना पानी गिरता बाबा उतना ही बार बार कहते हमलोग घर की औरतों का सम्मान नही करते जो प्रतिदिन इस दुर्दशा से दोनों वक्त जूझती है।

खैर किसी तरह खाना तैयार हुआ खास बात यह थी की खाने में सिर्फ विशुद्ध देशी घी का ही प्रयोग हुआ था खाना खाने के बाद सो गये सुबह प्रातः ब्रह्म मुहूर्त कि बेला में उठे एव बाबा के संग पूजा आराधना के उपरांत पुनः सुबह के अल्पाहार एव भोजन के कार्य मे जुट गए प्रातः का अल्पहार एव खाना दोनों एक ही साथ दिन में दस बजे करने के बाद एवं दोपहर में कुछ देर आराम करने के बाद विवाह में सम्मिलित होने के लिए तैयार हो गए और बारात आने का इंतजार करने लगें जिसके घर विवाह का कार्यक्रम था उस परिवार के हम उम्र बच्चे मेरे पास आते और पूछते कौन है? कहा से आये है? तो वहां मौजूद कोई बड़ा बुजुर्ग ही हमारा परिचय देता बताता ये महाराज जी के पौत्र है और रतनपुरा से आये है ।

बच्चे बड़े सम्मान् के साथ मेरा अभिवादन करते और पास बैठक कर अनेको प्रश्न करते जैसे किस क्लास में पढ़ते है? क्या नाम है? आदि इत्यादि शाम को बारात आयी द्वारापुजा के उपरांत मझले बाबा विवाह के संस्कारों के देख रेख में व्यस्त हो गए।

मैं एवं घर के बच्चों के साथ रात भर जागकर वैवाहिक कार्यक्रम को प्रथम बार जिज्ञासा से देखना अपने आप मेरे लिए कौतूहल का विषय था।

सुबह हुई फिर शाम उस समय बारात तीन दिनों तक रुकती थी पुनः सुबह बारात बिदा होते होते दिन के बारह बज चुके थे ।

घर वाले बारात बिदा करने के उपरांत मुझे एव बाबा जी को बड़े आदर सत्कार के साथ विदा किया हमरा सम्मान् कम नही था हम लोग भी अतिविशिष्ट अतिथियों में सम्मिलित थे तब ब्राह्मणों का सम्मान राजपुत्रो यानी क्षत्रियों के लिए गौरव की बात थी जिसने मेरे बाल मन पर बहुत गहरा प्रभाव डाला हम बाबा के साथ गांव लौट आये ।

दो दिन बाद छोटका बाबा ने कहा अशोक तुम भाई जी के साथ तो देवरिया से विवाह से लौट आये अब हमारे साथ चलो दरौली तुम्हारे मामा के पुत्रों का यग्योपवित संस्कार का नेवता है अशोक पुनः तैयार हो गया और शाम के लगभग 3 बजे छोटका बाबा के साथ दरौली के लिए प्रस्थान किया।

दरौली बिहार के सिवान जिले का कस्बा है जैसे उत्तर प्रदेश में तहसील मुख्यालय होते है आठ बजे रात को हम लोग दरौली कस्बे पहुंचे छोटका बाबा बोले अशोक तुम्हारे पैर में तो चप्पल नही है चलो पहले बाज़ार तुम्हारा चप्पल खरीद दे फिर तुम्हारे मामा के यहां चलते है ।

उस समय रात आठ बजे बाजार बंद हो जाते थे बड़ी मुश्किल से एक बन्द दुकान खुलवाकर बाबा ने मेरे लिए एक जोड़ी चप्पल खरीदी पुनः हम लोग मामा के दरवाजे रात्रि दस बजे पहुंचे मैं पहली बार अपने मामा के घर गया था रात को बहुत खातिरदारी हुई खाना खाने के बाद हम बाबा के साथ सोने के लिए चले गए।

अगले दिन सुबह मामा के दो बेटों के यग्योपवित संस्कार का कार्यक्रम होना था मामा बिहार राज्य सरकार में ग्राम्य विकास अधिकारी थे उनके तीन पुत्र एव दो पुत्रियां थी तीन भाइयों में सबसे छोटे थे उनके द्वारा अपने बेटों के यग्योपवित संस्कार का आयोजन बड़े धूम धाम से किया गया था यग्योपवित का कार्यक्रम शुरू हुआ जो शाम चार पांच बजे सम्पन्न हुआ ।

उसके उपरांत भोज का कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा रात को खाना खाने के उपरांत सोने के लिए छोटका बाबा के साथ चल दिये सुबह हुई एव बाबा ने नाना केश्वर तिवारी जो पूरे क्षेत्र के मशहूर संम्मानित दबंग व्यक्ति नही व्यक्त्वि थे पर इलाके में मजाल क्या उनकी बिना अनुमति के पत्ता भी हिल जाय चाहे कितने ही आंधी तूफान क्यो न आ जाय आज भी पण्डित केश्वर तिवारी के नाम पर सरकारी कन्या जूनियर हाई स्कूल उनके जीवित शौर्य गाथा कि प्रमाणिकता है से विदा लेने की अनुमति मांगी ।

बहुत कहने के बात आधे अधूरे मन से उन्होंने हम लांगो को विदा किया छोटका बाबा के साथ हम पुनः गांव रतनपुरा पहुंचे मेरे लिए पहले मझिला बाबा के साथ विवाह में सम्मिलित होना एव बाद में किसी रोमांच से कम नही था मुझे यग्योपवित एव विवाह जैसे महत्वपूर्ण संस्ककारो को जानने एव उसकी परम्परागत संस्कृति को समझने का सौभगय प्राप्त हुआ।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।

Language: Hindi
190 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
View all
You may also like:
आसमान तक पहुंचे हो धरती पर हो पांव
आसमान तक पहुंचे हो धरती पर हो पांव
नूरफातिमा खातून नूरी
जब हम सोचते हैं कि हमने कुछ सार्थक किया है तो हमें खुद पर गर
जब हम सोचते हैं कि हमने कुछ सार्थक किया है तो हमें खुद पर गर
ललकार भारद्वाज
,,,,,
,,,,,
शेखर सिंह
गृहणी का बुद्ध
गृहणी का बुद्ध
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
झूठ है सब ज़हीन धोका है - संदीप ठाकुर
झूठ है सब ज़हीन धोका है - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
शिक्षा हर मानव का गहना है।
शिक्षा हर मानव का गहना है।
Ajit Kumar "Karn"
निःशब्द के भी अन्तःमुखर शब्द होते हैं।
निःशब्द के भी अन्तःमुखर शब्द होते हैं।
Shyam Sundar Subramanian
नारी
नारी
Dr.Pratibha Prakash
कैमिकल वाले रंगों से तो,पड़े रंग में भंग।
कैमिकल वाले रंगों से तो,पड़े रंग में भंग।
Neelam Sharma
बीते कल की क्या कहें,
बीते कल की क्या कहें,
sushil sarna
उदासी की यही कहानी
उदासी की यही कहानी
Suryakant Dwivedi
वो हमको देखकर मुस्कुराने में व्यस्त थे,
वो हमको देखकर मुस्कुराने में व्यस्त थे,
Smriti Singh
🌹 इस्लाम  ने  मोहब्बत  का  पैगा़म दिया  है  ।
🌹 इस्लाम ने मोहब्बत का पैगा़म दिया है ।
Neelofar Khan
के उसे चांद उगाने की ख़्वाहिश थी जमीं पर,
के उसे चांद उगाने की ख़्वाहिश थी जमीं पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
**वसन्त का स्वागत है*
**वसन्त का स्वागत है*
Mohan Pandey
"चौराहे में"
Dr. Kishan tandon kranti
संवेदनशीलता,सहानुभूति,समानता,समरसता,सहिष्णुता, सत्यनिष्ठा,सं
संवेदनशीलता,सहानुभूति,समानता,समरसता,सहिष्णुता, सत्यनिष्ठा,सं
Rj Anand Prajapati
जिनके बिन घर सूना सूना दिखता है।
जिनके बिन घर सूना सूना दिखता है।
सत्य कुमार प्रेमी
राज जिन बातों में था उनका राज ही रहने दिया
राज जिन बातों में था उनका राज ही रहने दिया
कवि दीपक बवेजा
चुप रहने की आदत नहीं है मेरी
चुप रहने की आदत नहीं है मेरी
Meera Thakur
मुझे तो मेरी फितरत पे नाज है
मुझे तो मेरी फितरत पे नाज है
नेताम आर सी
बरक्कत
बरक्कत
Awadhesh Singh
ज़माने की नजर में बहुत
ज़माने की नजर में बहुत
शिव प्रताप लोधी
3051.*पूर्णिका*
3051.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अपना अपना कर्म
अपना अपना कर्म
Mangilal 713
या तो हम अतीत में जिएंगे या भविष्य में, वर्तमान का कुछ पता ह
या तो हम अतीत में जिएंगे या भविष्य में, वर्तमान का कुछ पता ह
Ravikesh Jha
जीना भूल गए है हम
जीना भूल गए है हम
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
हँसना चाहता हूँ हँसाना चाहता हूँ  ,कुछ हास्य कविता गढ़ना चाहत
हँसना चाहता हूँ हँसाना चाहता हूँ ,कुछ हास्य कविता गढ़ना चाहत
DrLakshman Jha Parimal
मेरे अशआर
मेरे अशआर
Dr fauzia Naseem shad
"If you continuously encounter
Nikita Gupta
Loading...