आसमान मे चमकते तारे
आसमान में चमकते तारे
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आसमान में चमकते तारे
निशा रोशन है करते तारे
कितनी भी काली रात हो
उजाले से तम हैं हरते तारे
शांत,शीत ,सुन्दर,मनोरम
अवनि अंबर मिलाते तारे
घने घनेरे बादल छा जायें
झट से छिप हैं जाते तारे
नन्हे मुन्ने रूढ कभी जाएं
दादी नानी है गिनाते तारे
भारी विपदा में फंस जाएं
दिन में याद आ जाते तारे
भू से नभ की ओर देखो
फुलझड़ी से दमकते तारे
मनसीरत है गिनता रहता
किस शैली में आते तारे
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)