आसमां बुलाता है
आसमां बुलाता करता, हमें इशारे भी
छोड़ के जमीं को आ , लोक यह पुकारे भी
याद तू करा जाये , छोड़ जब यहाँ आये
समय बाद भूले तुझको , सभी तुम्हारे भी
तू ठगा गया खुद से ही , यहाँ जमाने में
फिर खुदा उबारेगा , देख ये नजारे भी
तू नही अकेला है साथ में , वहीं भगवाँ
पार अब लगायेगें , आपको सितारे भी
नाव ले तुझे जायें , अब कहाँ यहीं जीवन
पर जहाँ चलेगी ये , साथ है किनारें भी
कोन सी रची लीला , आज यह विधाता ने
नाच कर नग्न इज्जत , फिर सभी उतारे भी
नोच कर इंसाँ खाता , है खुदा हमारा अब
कोन फिर सँभाले है , जो हुए शिकारे भी
डॉ मधु त्रिवेदी