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22 Sep 2016 · 1 min read

आसमां बुलाता है

आसमां बुलाता करता, हमें इशारे भी
छोड़ के जमीं को आ , लोक यह पुकारे भी

याद तू करा जाये , छोड़ जब यहाँ आये
समय बाद भूले तुझको , सभी तुम्हारे भी

तू ठगा गया खुद से ही , यहाँ जमाने में
फिर खुदा उबारेगा , देख ये नजारे भी

तू नही अकेला है साथ में , वहीं भगवाँ
पार अब लगायेगें , आपको सितारे भी

नाव ले तुझे जायें , अब कहाँ यहीं जीवन
पर जहाँ चलेगी ये , साथ है किनारें भी

कोन सी रची लीला , आज यह विधाता ने
नाच कर नग्न इज्जत , फिर सभी उतारे भी

नोच कर इंसाँ खाता , है खुदा हमारा अब
कोन फिर सँभाले है , जो हुए शिकारे भी

डॉ मधु त्रिवेदी

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