आशा
संपूर्ण धरा पर फिर नूतन वैभव होगा ।
प्रसन्नता का फिर से नव उद्भव होगा।।
विश्वास है फिर से सुखद दिन आयेंगे,
निराशा भरे दिन बीत ही जायेंगे।
नई सुबह होगी फिर से धरणी पर,
दुःख के सारे बादल छंट ही जायेंगे।
मुड़कर देखेंगे पीछे जब अतीत को,
तब हमें एक नया ही अनुभव होगा ।
प्रसन्नता का फिर से नव उद्भव होगा।।
आशा पर ही है सुबह और सायम् ,
निराश होकर क्यों कर जायें पलायन?
नव आत्मबल अर्जित करना होगा,
कहते हैं उम्मीद पर दुनिया है कायम।
हरसंभव मुकाबला करेंगे अंधियारे से,
दृढ़विश्वास से ही नूतन सूर्योदय होगा ।
प्रसन्नता का फिर से नव उद्भव होगा।।
अब बस कुछ ही दिन का संघर्ष होगा,
फिर से दसों दिशाओं में नव हर्ष होगा।
संपूर्ण विश्व का फिर कल्याण होगा,
अखिल राष्ट्र का नवल उत्कर्ष होगा।
विहंगम दृश्य फिर होगा धरती मां का,
पंछियों का सुखद नव कलरव होगा,
प्रसन्नता का फिर से नव उद्भव होगा।।
– नवीन जोशी ‘नवल’