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24 Mar 2024 · 1 min read

“आशा-तृष्णा”

“आशा-तृष्णा”
जिन्दगी चार दिन की मेहमान रही,
मगर आशा-तृष्णा सदा जवान रही।
कब वक्त गुजरा पता ना चला,
चेहरे पे झुर्री आँखों में थकान रही।

3 Likes · 3 Comments · 89 Views
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