आलि संग आली होली
आलि संग आली होली
फागुन में मन भाए आली होली
पिचकारी की धार से भीगे चोली
मोरे पिया नहीं संग कैसे भाए रंग
छेड़े मोहे आलि,दुष्ट करे ठिठोली
वो ले आयी संग न जाने कितने रंग
नटखट भिगो दियो मेरो अंग अंग
सर पगड़ी डाल बन गई मेरो भरतार
बोली क्या हुआ जो साजन नहीं संग
मरोड़ी कलाई जैसे वो साजन मोरी
चूनर खींचे इत उत छेड़े करे बरजोरी
रंगे गुलाबी गाल केस छिटके गुलाल
मैं भूली साजन ऐसो रंगडाली मोरी होरी
रेखांकन।रेखा