“आलिंगन”
“आलिंगन”
असमर्थ हो जाते जहाँ पर
दुनिया के सारे शब्द,
करता आलिंगन काम वहाँ
होकर भी निःशब्द।
है सम्भव होता जो सदा
सिर्फ हृदय तल पर ही,
लेकिन भाव भरे हों उसमें
सुकोमल मर्म-स्पर्शी।
“आलिंगन”
असमर्थ हो जाते जहाँ पर
दुनिया के सारे शब्द,
करता आलिंगन काम वहाँ
होकर भी निःशब्द।
है सम्भव होता जो सदा
सिर्फ हृदय तल पर ही,
लेकिन भाव भरे हों उसमें
सुकोमल मर्म-स्पर्शी।