आरक्षण की अजब कहानी सुनो
आरक्षण की अजब कहानी.
वो कहते थे इसको भीख यारो,
काहे अब बो भिखारी ख़ुद ही बन गए ..।
कहते रहते थे सारा सत्यानाश हो गया
अब सत्यानाशियों मैं जा करके क्यूँ बैठ गए ।।
आरक्षण की अजब कहानी सुनो…
घोड़े भी गधो की अब चाल चले ।
बात करते ग़रीबों के हक़-ओ-हुक़ूक़ की,
ख़ाना तुम उन ग़रीबों का ही खा गए ।
रहते हैं ख़ुद पहिने लाखों की पोशाक ..
कहते फ़िरते हम तो यारो फ़कीर हैं ।।
आरक्षण की अजब कहानी सुनो…
घोड़े भी गधो की अब चाल चले ।
संविधान की मौलिकता को ख़तरा ही,
बस तुमसे है..
इसके रूप -स्वरूप को बस ,
ख़तरा ही बस तुमसे है ।।
आरक्षण की अजब कहानी सुनो…
घोड़े भी गधो की अब चाल चले ।
समता को समरसता में बदला,
प्रतिनिधित्व को आरक्षण समझा ।
क्यूँ रखते दूर सुखः-सुविधाओं से,
मिलता गर एक समान हमें…चाँद दिन में दीदार करा देते ।
आरक्षण की अजब कहानी सुनो…
घोड़े भी गधो की अब चाल चले ।
हम आरक्षण के भूखें नहीं हैं,
सिर्फ़ समान अधिकार मिले ।
जितनी है जिसकी हिस्सेदारी ,
भागेदारी देश की हर ईंट में चाहिए ।।
आरक्षण की अजब कहानी सुनो…
घोड़े भी गधो की अब चाल चले ।
कर ले ज़ालिम अत्याचार तू भी,
जितना तेरे मन को चैन मिले ।
“आघात” घात ऐसे देंगे,
पीने को न कहीं तुझे नीर मिले ।।
आरक्षण की अजब कहानी सुनो…
घोड़े भी गधो की अब चाल चले ।
आर एस बौद्ध “आघात”
8475001921