आयुर्वेद का गुणगान करें
आयुर्वेद का गुणगान करें
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चिता मानव की दहक रही थी,लहर कोरोना विकराल बना।
प्राणप्रहरियों को भी न बक्शा, मनुज कितना लाचार बना ।।
बिलख रहा था जब देश यहां, मीडिया मातम का श्रृंगार किया।
काष्ठ चिता संग सेल्फी लेकर, जनमानस को भयाक्रांत किया।।
गहन अंधेरा था इस जग में, कालप्रचंड की ज्वाला धधकी ।
योग आयुर्वेद का अमृतजल तब,प्राणसंजीवनी बनकर टपकी।।
जनमानस में जच-बस गया था, अस्पताल ही बदहाल है।
डाक्टर नर्स खुद भेंटीलेटर पर , धरा पर ये कैसा पैगाम है।।
गांव- शहर रखवाले चिकित्सक,सब ने मिलकर जान बचायी।
एलोपैथी के साथ ही उसने, घरेलु नुस्खों संग भाप पिलायी।।
जन-जन को जागरूक करें अब,फेफड़ा हमारा कैसे हो सबल।
कास कफ इसे जकड़ ना पाए, आयुर्वेद का संग हो जो प्रबल।।
टीकाकरण हम सब अपनायें , मगर फिर भी होशियार बने।
नियम-परहेज का पालन करते,आयुर्वेद का सम्यक ज्ञान भरें।।
महामारी के तांडव काल में, इसने कितनों की जान बचाई है।
भारत जैसी सघन आबादी को, भयावह अंदाज से उबारी है।।
हमनें भी सपरिवार संक्रमण में, इसको ही आजमाया था।
पहले दिन से ही जागरूक बना,बस इसको ही अपनाया था।।
जनऔषधियां कितने है वसुधा में,जानेंगे तब ही पायेंगे।
आयुर्वेद वेदज्ञान धरोहर जग का, गहन शोध में ही समझेंगे।।
आयुर्वेद और योग ने मिलकर देश का मान बढ़ाया है ।
योग आयुर्वेद संग देश बचा है, हम इसका गुणगान करें।।
मौलिक एवं स्वरचित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १२ /०७/२०२१
मोबाइल न. – 8757227201
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