आया नूतन वर्ष जब, झूम रहे अरकान |
आया नूतन वर्ष जब, झूम रहे अरकान |
युवक युवतियों नाचते, मचल गये अरमान||
मचल गये अरमान, नाचती व्हिस्की बोतल |
बाहों में हो बांह,झूमती काया कोमल||
दारू करती नाश,जवानी करती जाया |
दारू छोड़ें त्वरित,आज नूतन दिन आया ||
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव “प्रेम ”
जाड़े में जब हो गये,नौ के नब्बे खर्च |
नए वर्ष में जब सभी, पहुंचे सीधे चर्च||
पहुंचे सीधे चर्च, पहनकर कपड़ा दूना |
फिसले डी०जे० बीच,पहुँच ना पाए पूना ||
कहें प्रेम कविराय, डाक्टर हड्डी ताड़े |
खरचा नर्सिंग होम, भर रहे पूरे जाड़े ||
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम