‘आप नहीं आएंगे अब पापा’
गीतों को सुनना, गाना गुनगुनाना और आंखें बंद कर के लय पे सर हिलाना याद आएगा
पापा आपके सवालों का अनमोल खजाना याद आएगा।
वो सीखना बातों बातों में हमसे कुछ नया और कभी हमें कुछ सिखाना याद आएगा
पापा बूढ़े दरख़्त पर नयी कोपलों का आना याद आएगा।
रोज़ तो आती थी मैं आपसे मिलने फिर भी बेसब्री से मेरा इंतज़ार करना याद आएगा
पापा वो फोन पर मेरी आवाज़ सुनने का बहाना याद आएगा।
रौशनी कितनी भी हो, मेरे घर में आते ही आपका बड़ी लाइट जलवाना याद आएगा
पापा मेरी बातें सुनना गौर से और वाह करना याद आएगा।
पापा वो नित नयी फरमाइश करना और छोटी छोटी ख्वाहिशें बताना याद आएगा
आपका वो खुश हो कर मुझे बाहों में भर लेना याद आएगा।
वो सोफे का कोना, वो कम्बल, वो टोपी, दवाई तीसरे नम्बर की, वो चश्मा याद आएगा
हर रोज़ पूछना, फिर कब आएगी ‘मोटी’ बहुत याद आएगा।
वो बहादुरी, वो ज़िन्दादिली , वो खुशमिजाज़ी, वो पुराने किस्सों का सुनाना याद आएगा
आप नहीं आएंगे अब पापा पर आपके साथ गुजरा ज़माना याद आएगा।
आपके साथ गुजरा ज़माना बहुत याद आएगा।
अलका अग्रवाल