आप केवल सही या केवल गलत नहीं होते हैं. अक्सर आप दोनों एक साथ
आप केवल सही या केवल गलत नहीं होते हैं. अक्सर आप दोनों एक साथ होते हैं. किसी बिंदु पर सही तो उसी से जुड़े या थोड़ा इतर बिंदु पर गलत.
ऐसा कह पाने वालों को शायद कोई नहीं सुनता. इसका कारण बस इतना है कि वो किसी एक पक्ष को खुलकर सही या गलत नहीं कह रहे होते हैं. वो इसलिए, क्योंकि दोनों ही तरफ कुछ मिलावट होती है.
ये मिलावट तब और बढ़ती है जब इसमें दोनों तरफ के बाहरी लोग शामिल होकर अपने-अपने हित और एजेंडा शामिल कर देते हैं. फिर मामला तूल पकड़ता है. उसके बाद अर्थ का अनर्थ और असल मुद्दा गायब हो जाता है.
मुद्दा गायब होने के बाद उससे जुड़े मूल व्यक्ति असल पहलुओं को सामने ही नहीं रखते. बस यूँ ही छोड देते हैं, अपने अपने समर्थकों के सहारे. फिर दोनों तरफ के लोग अपने अपने हिसाब से तर्क-कुतर्क करने लग जाते हैं और रह जाती है तो वो बात जो असल में थी.