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8 May 2020 · 1 min read

आप।

आपने उस दिन कहा था मुझसे,
क्या “मुझ पर आप लिख सकते हैं”,

सबसे पहले धन्यवाद आपका,
कि मुझ पर हक आप समझते हैं,

बहुत ज़्यादा तो आपको जाना नहीं,
सो सही-ग़लत आपको माना नहीं,

आप एक अच्छी इंसान हैं,
और अच्छा होना कोई बीमारी नहीं,

पर हर किसी पर भरोसा करना,
ये भी तो कोई समझदारी नहीं,

वक्त दिला देगा उन्हें एहसास,
जो तोड़ गए आपका विश्वास,

लोगों को उनके हाल पर छोड़िए,
हर पल को अपने बनाइए ख़ास,

अपने अल्फ़ाज़ों से आप पर मैंने,
थोड़ा सा हक जता दिया,

अंदाज़े से जो कुछ लिख सकता था,
वो सब कुछ आपको बता दिया,

नाम तो आपका लिया ना मैंने,
फिर भी आप समझ जाइएगा,

इस कविता में एक दुआ है शामिल,
ज़रा ध्यान से पढ़ते जाइएगा,

सारी ज़िंदगी आप हमेशा,
हंसिये और मुस्कुराइएगा।

कवि-अंबर श्रीवास्तव

Language: Hindi
3 Likes · 543 Views
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