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9 Apr 2018 · 2 min read

आपस में कभी मत लड़ना -रस्तोगी

मिली कही से दो बिल्लियों को चार रोटी
एक थी मोटी थी,दूसरी थी छोटी
तीसरी थी चुपड़ी हुई पाई
चौथी थी बेचुपडी हुई पाई
पहली बिल्ली यू बोली,
चुपड़ी रोटी तो मै खाऊँगी
बेचुपड़ी रोटी तू खायेगी
दूसरी बिल्ली तुरंत यू बोली,
बेचुपड़ी रोटी मै क्यों खाऊँगी ?
बेचुपड़ी रोटी तू खायेगी
दोनों आपस में लड़ने झगड़ने लगी
रोटी के लिए खीचा तानी करने लगी
इन रोटियो के चक्कर में मचा था बबन्डर
जिसको देख रहा था एक बन्दर
बन्दर झट आकर यू बोला,
प्यारी बहनों,क्यों झगड़ा हो रहा तुम्हारा ?
भाई आया है,फैसला कर देगा तुम्हारा
भाई बहन तो सब मिलकर रहते
कभी न आपस में झगड़ा करते
बंदर की सुन चुपड़ी बाते
भूल गई,चुपड़ी रोटी की बाते
दोनों बिल्ली बोली,भैया फैसला जल्द कराओ
तेज भूख लगी है,रोटियो को बटवाओ
इस पर फिर से बन्दर बोला,
भूख लगी है मुझको भी बहनों
थोडा धीरज धरो,मेरी प्यारी बहनों
नई तराजू लाता हूँ मत तुम लड़ना
तब तक तुम मेरा इन्तजार करना
बिल्लियाँ बंदर की मीठी बाते सुन्र रही थी
जो चुपड़ी रोटी के लिए कुलबुला रही थी
जल्द फैसला हो जाएगा हमारा
रोटियों का बटवारा हो जाएगा हमारा
तुरंत बन्दर घर से एक तराजू लाया
दोनों पलड़े है बराबर बिल्लियों को दिखाया
दो दो रोटी दोनों पलडो में रक्खी
दोनों पलड़े बराबर कैसे होते ?
चूकि एक रोटी थी छोटी दूसरी थी मोटी
मोटी रोटी से बन्दर ने एक दुकड़ा खाया
फिर भी रोटियों का वजन बराबर न हो पाया
वजन बराबर करने में बंदर तीनो रोटी खा गया
बची थी एक रोटी सोच रहा था कैसे करे सफाया
बन्दर बोला,चौथी रोटी है मेहनत मेरी
भूख लगी है मुझको भी करूँगा न देरी
इस तरह चारो रोटी खाकर बंदर ने फैसला कराया
दोनों बिल्लियों को भूखा रहने पर मजबूर कराया
इस कहानी से ज्ञान हमे ये मिलता
दूसरो से कभी फैसला नहीं मिलता
इसलिए सलाह देता हूँ सबको
आपस में कभी मत लड़ना
अपना फैसला खुद ही करना

आर के रस्तोगी
9971006425

Language: Hindi
498 Views
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