// आपसे…..
// आपसे …..
खुद को हमनें ,
आप बना लिया
खुद से आपसे ,
बातें कर लिया
एक ही नजर में ,
आपको अपना लिया
आखिर ऐसी भी ,
क्या है आपमें ,
कोई खास विशेषता…!
महक जाते हैं
हम तो महज ,
आपकी यादों से
हमें इत्र की ,
क्या आवश्यकता…!
आओ बंधे हम दोनों ,
एकता के सूत्र में ,
कम हो दूरी और
मिटे हमारी अनेकता…!
हमारे आपसी संबंधों में ,
दरमियां बस इतनी रहे ,
रिश्तो में बनी रहे गरमाहट ,
बनी रहे पवित्रता…!
जिंदगी और मौत के ,
बीच के जद्दोजहद में ,
जिंदगी खुशनुमा हो और
मिलती रहे सफलता…!
कोई छूटता है तो ,
मिलता नहीं कोई
बनी है एक पहेली इसमें ,
कोई जीतता कोई हारता…!
इस हार-जीत के खेल में ,
चाहूं मैं जीत जाऊं अगर ,
बनी रहे आप की मुझ पर ,
कुछ ऐसी विनम्रता…!
कि जीवन सफल हो ,
धन्य हो जाए कुछ ,
इस तरह बगिया में ,
खिल रहे हैं पुष्पलता…!
चिन्ता नेताम “मन”
डोंगरगांव (छत्तीसगढ़)