आने से
आ गई ये बहार आने से
अब मिली है खुशी हँसाने से
फूल मुसकाँ सजा रहे तेरी
ये नशा है तुझे पटाने से
आ रहा पास रोज तू मेरे
ये हुआ गले लगाने से
यार सारे समझ न आये है
सोच ऐसी हुई सताने से
आज जो खूब रो लिया है तू
दिल को राहत मिलें भुलाने से
मेंहदी हाथ की फीकी तेरी
लाल होगी ये प्यार करने से
अब सड़क पर लजा रही लड़की
हाल ऐसा हुआ चिढ़ाने से
जिन्दगी जो मिली यहाँ सबको
रोज सुंदर यहाँ तराने से
जिन्दगी को मिले यहाँ साँसे
पास अब बैठ बुदबुदाने से
मनचले रोज ही सुधर जाए
होश आये जो मार खाने से
डॉ मधु त्रिवेदी