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16 Jan 2020 · 1 min read

आना पड़ेगा लौटके मेरी पनाह में

बह्रे- मज़ारे मुसम्मन अख़रब महजूफ़
वज्न- मफ़ऊल फ़ाएलातु मफ़ाईल फ़ाएलुन
अरकान -221 2121 1221 212

गीत

क्यों ढूंढते हो तुम खुशी गैरों की चाह में।
आना पड़ेगा लौट के मेरी पनाह में।।

होकर ज़ुदा न दिल मेरा भूलेगा आपको।
लेकर मैं जाऊं आपकी सूरत निगाह में।।

मेरा पता जो पूछते भटकोगे दर बदर।
देखूंगी मैं असर तभी कितना है चाह में।।

देना है दर्दो -गम जो हमें दीजिए सनम।
होगी न कोई बद्दुआ तो मेरी आह में।।

करते रहे ख़ताएं लगातार तुम अगर।
शामिल नहीं रहूंगी तुम्हारे गुनाह में।।

तेरे दिए अंधेरों से इक ‘जोत’ लड़ रही।
कब तक करेगी रोशनी तेरी ये राह में।।

✍? श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 1 Comment · 387 Views
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