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9 Aug 2023 · 1 min read

आधुनिक हो गये हैं हम

आधुनिक हो गये हैं हम , शिक्षित होकर ज्ञान भूल गए हम
यूं तो आभसी दुनियाँ में लाखों, पर अपनों को भूल गये हैं हम

संस्कार की भाषा, प्यार की परिभाषा,संस्कृत और संस्कृति
किस्से कहानियाँ ,अपना इतिहास, भूगोल भूल गये हैं हम

अपना गाँव नीम छाँव पीपल , वो गंदा कीचड़ और कमल
सुबह धरती के आंगन में दादा जी के पांव भूल गए हैं हम

तुलसी आंवला वरगद की पूजा, नदी नहर कुओं की पूजा
पुस्तकों संसधानों का मूल्य , पर्यावरण सब भूल गए हम

मॉल, सिनेमा, संस्कृति को बेचते, धरती के सिंगार हम नोचते
फसल में कीटनाशक , उनमें खुद का मोल भूल गये हैं हम

हम ही भारत का गौरव, विश्व गुरु कहलाये हैं
चाणक्य चन्द्रगुप्त विस्तार सब भूल गये हैं हम

अध्यात्म के आलोक से नित्य जगत किया प्रकाशित
गीता के श्लोको को, राम चरित को भूल गये हैं हम

यदि चाहें हम कल संवारना, धर्म बचाना खुद को बचाना
दीप बन जाओ ज्ञान ज्योति जलाना क्यों भूल गये हैं हम

आओ पुनः प्रज्ज्वलित कर लें भविष्य नया सुनिश्चित कर लें
दें नन्हें हाथों में ज्ञान दीप हम,अक्सर जिनको भूल गये हम

Language: Hindi
14 Likes · 4 Comments · 345 Views
Books from Dr.Pratibha Prakash
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