आधुनिकता
आधुनिकता की बलि वेदी पर
आज का मानव चढ़ गया ,
वह जीवित होते हुए भी
ज़िंदा लाश बन के रह गया
आज के इंसान ने
इक दूसरे से वास्ता रखना ही बंद कर दिया ,
अब उसने दिल से नहीं दिमाग से
काम लेना शुरू कर दिया ,
अब उसने माता- पिता को भी मॉम – डैड कहना शुरू कर दिया ,
आज उसने अपनी ” श्वेत संस्कृति ” पे
आधुनिकता का काला रंग चढ़ा के रख दिया |
द्वारा – नेहा ‘आज़ाद’