आधा अधूरा सा,थकान भरा तन,
आधा अधूरा सा,थकान भरा तन,
किफायती सहेजें, संवेदना लिए मन,
प्रेमपगी स्निग्धा स्नेहरसन आर्द्रतापन,
वात्सल्य मृदुलता अंतर्व्यथा की तपन,
नेह अपनत्व प्रमाणित करन की लगन,
निरन्तर स्वयं का स्वयं से ही भरा समर्थन,
अपलक राह भरी स्मृतियों का भार भवन,
खुशी की मुस्कान पल,पल में खुद से जलन,
जता देती असंतोष फिर हर भाव नेपथ्य में शमन
जीती यान्त्रिक भावशून्य बढ़ते जाते अगले कदम
तहकीकात मन की होती अनुभूति रूह वाली छुअन,
तसल्ली,सफर है चलना ,चलता है ऐसे ही जीवन।
सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान