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31 Oct 2021 · 1 min read

आदिवासी

तुम रहते हो सदियों से
पीढ़ी दर पीढ़ी यहीं इन्ही जंगलों मे
मगर तुम पर ये इल्जाम लगाते हैं
सरकारी अमले
कि तुमने काट कर जंगल विरान कर दिये
और अपने घर जागीरों से भर दिये
मगर मैं सोचता हूँ अगर तुमने या तुम्हारे
पूर्वजों ने ये जंगल काटे हैं
तो अभी तक ये जंगल बाकी क्यों हैं
ये कब के खत्म हो जाने चाहिए थे
मगर नही, तुमने तुम्हारे पूर्वजों ने सदियों से
पीढ़ी दर पीढ़ी संजोया है इन्हें
बिल्कुल अपने बच्चों की तरह
सब जानते हैं तुम कौन हो क्या इतिहास है तुम्हारा
आमतौर पर तुम्हे आदिवासी
कहकर पुकारा जाता है
तुम सच्चे रखवाले हो जंगलो के
मगर तुम्हे बेवजह मारा जाता है
वो भी सिर्फ इसलिये कि तुमने
ना ही बेचे हैं जंगल और ना ही जागीरें बनाईं
ना इमारतें खड़ी कीं,ना गलियां सजायीं
बल्कि हासिये पर लाकर धकेले गये तुम
रूखी रोटी,गंदा पानी,बेरोजगारी झेले गए तुम
मगर तुमने बचाए रक्खा नदियों को,जंगल को
कुदरत के घर आंगन को
सलाम है तुम्हे,सलाम,लाल का भारत के
हर लाल का सलाम
मारूफ आलम

Language: Hindi
1 Comment · 352 Views

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